धुरंधर: रणवीर सिंह की दमदार परफॉर्मेंस, अक्षय खन्ना ने लूटी महफिल, खाड़ी देशों में बैन के बावजूद 300 करोड़ के करीब पहुंची

  • रजत तलवार

धुरंधर एक तीव्र, राजनीतिक रूप से मुखर स्पाई थ्रिलर है जिसमें रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना की परफॉर्मेंस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरती है। कहानी, स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले कई जगह बेहद प्रभावशाली हैं, लेकिन लंबी अवधि और कुछ सबप्लॉट्स की भरमार इसे थोड़ा बोझिल भी बना देती है।

अभिनय और किरदार –

रणवीर सिंह का किरदार एक अंडरकवर इंडियन ऑपरेटिव का है, जहां वे बाहरी तौर पर ठंडे, नियंत्रित और भीतर से टूटे हुए इंसान को बारीकी से पकड़ते हैं। उनके एक्शन सीक्वेंस में रॉ इंटेंसिटी और इमोशनल सीन में सटल परफॉर्मेंस, दोनों ही साफ दिखते हैं और यह फिल्म को लगातार थामे रखते हैं। रणवीर सिंह का अंडरकवर ऑपरेटिव वाला किरदार broadly मेजर मोहित शर्मा जैसी वास्तविक स्पेशल फोर्सेज़ ऑपरेशन स्टोरीज़ से प्रेरित बताया जा रहा है, जहां उन्होंने दुश्मन के इलाके में घुसकर नेटवर्क में घुसपैठ की थी। फिल्म में नाम बदले गए हैं, लेकिन बैकस्टोरी और ऑप्स की स्टाइल में इन घटनाओं की गूंज साफ सुनाई देती है।

अक्षय खन्ना एक लयारी गैंगस्टर के रूप में लगभग रणवीर की चमक को टक्कर देते हैं, उनका किरदार असली अपराधी रहमान ‘डाकैत’ बलोच से प्रेरित बताया गया है। डर, करिश्मा, राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा और भीतर छिपी कमजोरी – इन सबको वे इतनी सहजता से निभाते हैं कि उनकी हर एंट्री सीन चुरा लेती है।​ अक्षय खन्ना का रहमान ‘डाकैत’ कराची के गैंगस्टर–पॉलिटिशियन अब्दुल रहमान बलोच उर्फ़ रहमान डकैत से प्रेरित है, जिसे फिल्म में एक करिश्माई लेकिन ख़ूंख़ार अंडरवर्ल्ड डॉन–से–नेता के रूप में पेश किया गया है। इससे उनके किरदार की क्रूरता और राजनीतिक पहुँच, दोनों का रियल–वर्ल्ड संदर्भ और भी तेज़ी से महसूस होता है।

आर. माधवन, संजय दत्त और अर्जुन रामपाल जैसे सपोर्टिंग एक्टर्स अपने हिस्से को मजबूती से निभाते हैं, हालांकि कुछ रोल सीमित स्क्रीनटाइम और लिखावट की वजह से उतने यादगार नहीं बन पाते। आर. माधवन फिल्म में इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर “अजय सान्याल” के रूप में दिखते हैं, जिनका लुक, चाल–ढाल और प्रोफ़ाइल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से स्पष्ट रूप से प्रेरित मानी जा रही है। मीडिया और सोशल मीडिया दोनों में इस बात पर लगातार चर्चा रही है कि वे असल में डोभाल का सिनेमाई संस्करण ही लगते हैं।

कहानी, स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले –

फिल्म की कहानी पाकिस्तान के गैंगवार, आईएसआई नेटवर्क, राजनीतिक गठजोड़ और भारत के सीक्रेट ऑपरेशंस के इर्द-गिर्द बुनी गई है, जो इसे एक बड़े भू-राजनीतिक कैनवास पर खड़ा करती है। यह नैरेटिव वास्तविक आतंकी हमलों और ऐतिहासिक घटनाओं से प्रेरित एक फिक्शनल थ्रिलर के रूप में पेश किया गया है, जिससे इसकी दुनिया काफी ऑथेंटिक महसूस होती है.

स्क्रीनप्ले की सबसे बड़ी ताकत वर्ल्ड-बिल्डिंग है, खासकर कराची के लयारी एरिया की रीक्रिएशन और गैंग-राजनीति का विवरण, जो घनी और इमर्सिव लगती है। कमजोरी यह है कि करीब साढ़े तीन घंटे की रनटाइम में कुछ ट्रैक (जैसे लव एंगल, कुछ रिडंडेंट एक्शन ब्लॉक्स) खिंचे हुए लगते हैं और एडिटिंग और टाइट हो सकती थी।

वास्तविक घटनाएं और विवाद

धुरंधर की प्लॉटलाइन कई असली घटनाओं और भारत–पाक संबंधों से प्रेरित है, जैसे हाइजैकिंग, सीमा पार आतंकी नेटवर्क और बलूचिस्तान का संदर्भ, जिन्हें फिल्म ने काल्पनिक रूप में पिरोया है। यह फिल्म पाकिस्तान के गैंग–राजनीति–आईएसआई नेक्सस को काफी आक्रामक अंदाज में दिखाती है, जिसके चलते इसे “एंटी–पाकिस्तान नैरेटिव” वाली फिल्म के रूप में चर्चा मिली।

इन्हीं कारणों से बहरीन, कुवैत, ओमान, क़तर, सऊदी अरब और यूएई जैसे छह खाड़ी देशों में फिल्म को सर्टिफिकेशन नहीं मिला और वहां रिलीज पर बैन जैसा हाल हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन देशों के सेंसर बोर्ड को जियो–पॉलिटिकल थीम और पाकिस्तान की प्रस्तुति पर आपत्ति थी, जिससे ओवरसीज़ रेवेन्यू पर भी असर पड़ा।

बॉक्स ऑफिस और व्यापार

भारत में धुरंधर ने शुरुआती हफ्ते में ही जबरदस्त कलेक्शन दर्ज किया और रिलीज के एक हफ़्ते के भीतर 200 करोड़ नेट से ऊपर और वर्ल्डवाइड लगभग 300 करोड़ के करीब पहुंच गई। शुरुआती छह दिनों में फिल्म ने लगभग 188 करोड़ के आसपास भारतीय नेट कलेक्शन दर्ज किए, जो इसे 2025 की टॉप ग्रॉसर्स में लाकर खड़ा करते हैं।

यह फिल्म साल की कई बड़ी फिल्मों की लाइफटाइम कमाई को पार कर चुकी है और ट्रेड रिपोर्ट्स के अनुसार आगे 250–300 करोड़ नेट की रेंज की रेस में बनी हुई है। खाड़ी देशों में बैन के बावजूद, घरेलू और अन्य इंटरनेशनल मार्केट्स में इसकी मजबूत पकड़ इसकी कंटेंट–ड्रिवन अपील और स्टार पावर दोनों को साबित करती है।

विशेष टिप्पणी: अक्षय खन्ना की परफॉर्मेंस
अक्षय खन्ना का किरदार फिल्म का सबसे लेयर्ड और अनप्रिडिक्टेबल हिस्सा है – एक गैंगस्टर जो डर भी पैदा करता है, इमोशन भी, और राजनीति के ज़रिए वैधता पाने की जद्दोजहद भी दिखाता है। उनके बॉडी लैंग्वेज, आंखों के सूक्ष्म हाव–भाव और शांत लेकिन धमक भरे डायलॉग डिलीवरी से स्क्रीन पर एक ऐसी मौजूदगी बनती है, जो कई सीन में रणवीर की भी चमक साझा या ओवरशैडो कर लेती है।

कई समीक्षाओं ने साफ तौर पर लिखा है कि रणवीर “लीड” जरूर करते हैं, लेकिन फिल्म को यादगार बनाने का क्रेडिट अक्षय खन्ना के आर्क को भी बराबर मिलता है, जो ग्रे जोन में होते हुए भी दर्शक की दिलचस्पी और सहानुभूति दोनों खींच लेता है। उनकी यह परफॉर्मेंस हाल के वर्षों में उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ अदाकारी में गिनी जा रही है।

राकेश बेदी फिल्म में पाकिस्तानी नेता/पॉलिटिशियन जमी़ल जमाली जैसे किरदार में नज़र आते हैं, जिसे उन्होंने कई असली पाकिस्तानी सियासतदानों की स्पीच, लहजा और बॉडी लैंग्वेज स्टडी करके गढ़ा है। कॉमेडी के लिए मशहूर रहते हुए भी यहां उनका गंभीर, कुटिल और सत्ता–लोलुप पॉलिटिशियन अवतार काफी सरप्राइजिंग और प्रभावशाली लगता है, जिस पर कई समीक्षाओं और इंटरव्यूज़ में खास तौर पर तारीफ़ हुई हैI

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