उत्तराखंड में 2025 से सड़क सुरक्षा शिक्षा अनिवार्य: स्कूली बच्चों को 6 ऑडियो-वीडियो गीतों के ज़रिए मिलेगा प्रशिक्षण

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने 2025 से स्कूली पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा को कहानी नहीं, बल्कि अनिवार्य पाठ बना दिया है। राज्य के शिक्षा विभाग ने सड़क सुरक्षा नियमों पर आधारित 06 ऑडियो/वीडियो गीतों को आधिकारिक तौर पर पाठ्यक्रम में शामिल किया है। इन गीतों को एससीईआरटी द्वारा तैयार किया गया है और राज्यभर में छात्र-छात्राओं तथा समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए जारी किया गया है।

शिक्षामंत्री ने कहा, “हम पहाड़ी राज्य हैं—यहां सड़कें ही जीवन की डोर हैं। जो इन नियमों को समझेगा, वही सुरक्षित घर पहुंचेगा। जब भी सड़क पर चलें, नियमों का पालन करना धर्म जैसा मानें।”

क्यों ज़रूरी है सड़क सुरक्षा पाठ?

उत्तराखंड के 9 ज़िले पूरी तरह पर्वतीय हैं। मुश्किल भूगोल और घुमावदार रास्तों के कारण दुर्घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। सरकार का कहना है कि सड़क सुरक्षा नियमों को पढ़ाना अब सिर्फ जानकारी नहीं, बल्कि जीवन-कौशल है।

ये हैं गीतों से मिलने वाले मुख्य संदेश—

  • जहां ज़ेब्रा क्रॉसिंग हो, वहीं से सड़क पार करें।
  • अगर सड़क पर सुविधा न हो, तो दोनों ओर देखकर ही सड़क पार करें।
  • चलते समय मोबाइल का इस्तेमाल न करें।
  • वाहन में सीट बेल्ट, हेलमेट और इंडिकेटर का उपयोग अनिवार्य है।
  • नशे की हालत में वाहन न चलाएं।
  • वाहन चलाते समय भीड़, धुंध या खतरे की स्थिति में गति नियंत्रित रखें।
  • दुर्घटना दिखे तो घायलों की मदद करें और तुरंत 112 पर सूचना दें।

स्कूली पाठ्यक्रम में कैसे शामिल हुआ विषय?

SCERT की संयुक्त बैठक में सड़क सुरक्षा विषय को कक्षा 9 के ‘आपदा प्रबंधन’ खंड के भीतर अध्याय 10 के रूप में जोड़ा गया है। तिहरी के हिन्डोला ब्लॉक को “दुर्घटना संवेदनशील क्षेत्र” की श्रेणी में घोषित कर इसे आदर्श मॉडल केन्द्र बनाया गया है।

शिक्षा व परिवहन विभाग का संयुक्त अभियान

  • 2020 से अब तक प्रदेशभर के 5000 शिक्षकों को सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
  • परिवहन विभाग के साथ मिलकर 50,000 पुस्तिकाएँ भी स्कूलों तक पहुंचाई गई हैं।

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